Download Chaupai Chhand ki Paribhasha Udaharan Sahit
आपका हमारे ब्लॉग पर पुनः स्वागत है। आज की पोस्ट में हमने चौपाई को उसके उदाहरण से समझने की कोशिश की है, तो अगर आप भी हिंदी पेपर की तैयारी कर रहे हैं तो इस पोस्ट की मदद से "चौपाई" को समझ सकते हैं।
इस आर्टिकल में भी हमने अपनी पिछली पोस्ट व्यंजन संधि की तरह ही लिखी है, जिसे समझना आपके लिए आसान होगा।
Chaupai Ki Paribhasha
चौपाई के उदाहरण |
"चौपाई छंद एक मात्रिक सम छंद है। इसमें चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में 16 मात्राएं होती हैं। यति प्रत्येक चरण के अंतिम गुरु पर होती है।"
चौपाई के उदाहरण
चलिए अब उदाहरण पर चलते है :
तुलसीदास :
जाके हृदय में राम बसै, सोई है सज्जन मन।
राम बिना सब जग है, खोया अंधियारा वन।
मीराबाई:
जग में रहना है तो, नाम जपो श्याम का।
नाम बिना जीवन है, जैसे दीप बिना बाती।
सूरदास:
कृष्ण मुरारी मोहन लाल।
मुझको बचा ले, तू ही राख ले।
उदाहरण | चरण | गण रूप | लक्षण |
---|---|---|---|
जाके हृदय में राम बसै, सोई है सज्जन मन। | प्रथम चरण | (उपजा) 12/1 गुरु लघु | प्रथम चरण में 12 मात्राएं हैं, जिसमें 6 गुरु और 6 लघु हैं। |
राम बिना सब जग है, खोया अंधियारा वन। | द्वितीय चरण | (बसै) 12/1 गुरु लघु | द्वितीय चरण में 12 मात्राएं हैं, जिसमें 6 गुरु और 6 लघु हैं। |
जग में रहना है तो, नाम जपो श्याम का। | तृतीय चरण | (रहना) 12/1 गुरु लघु | तृतीय चरण में 12 मात्राएं हैं, जिसमें 6 गुरु और 6 लघु हैं। |
नाम बिना जीवन है, जैसे दीप बिना बाती। | चतुर्थ चरण | (बती) 12/1 गुरु लघु | चतुर्थ चरण में 12 मात्राएं हैं, जिसमें 6 गुरु और 6 लघु हैं। |
चौपाई छंद का लक्षण उदाहरण सहित लिखिए
ये भी एक ऐसा प्रश्न है जो एग्जाम में काफी पूछा है :
- चौपाई छंद में चार चरण होते हैं।
- प्रत्येक चरण में 16 मात्राएं होती हैं।
- यति प्रत्येक चरण के अंतिम गुरु पर होती है।
- चौपाई छंद में अंतिम दो शब्दों का संबंध होता है।
चौपाई छंद का उपयोग
- काव्य
- नाटक
- गीत
- कविता
गण रूप
गण रूप दो प्रकार के होते है :
- गुरु - भारी मात्रा
- लघु - हल्की मात्रा
निष्कर्ष
हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई चौपाई छंद की उदाहरण, उपयोग, और विशेषताएँ आपके लिए उपयोगी साबित हुई होंगी अगर हां तो आप हिंदी विषयों को पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग को फ़ॉलो कर सकते हैं।
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