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  बुद्ध पूर्णिमा एक बौद्ध त्योहार है जो गौतम बुद्ध के जन्म का जश्न मनाता है। वे बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। उनका असली नाम सिद्धार्थ गौतम था और उनका जन्म लुंबिनी में हुआ था। बौद्ध धर्म विश्व का एक प्रमुख धर्म है।


यह त्योहार अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। भारत में, बौद्ध लोग एक मठ में जाते हैं, जिसमें प्रार्थना सभा, उपदेश, बौद्ध धर्मग्रंथों का पाठ, सामूहिक ध्यान आदि शामिल हैं। वे सफेद कपड़े पहनते हैं और मीठे चावल की खीर खाते हैं।


चीन में लोग धूप जलाकर और भिक्षुओं को भोजन कराकर बुद्ध को याद करते हैं। वे मंदिरों में बुद्ध की मूर्ति को धोते हैं और लालटेन जलाते हैं। जापान में यह त्यौहार हर साल 8 अप्रैल को मनाया जाता है। लोग बुद्ध की छोटी मूर्तियों पर अमा-चा (हर्बल चाय) डालते हैं और इसे फूलों से सजाते हैं। उन छोटी मूर्तियों को बेबी बुद्धा के नाम से जाना जाता है।


बुद्ध पूर्णिमा एक त्योहार है जो गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का जश्न मनाता है। उनका जन्मदिन हमें उनके दर्शन की याद दिलाता है जो एक शुद्ध और सरल जीवन जीना था। यह हमें अहिंसा की याद दिलाता है जिसने गांधीजी को बहुत प्रभावित किया।


essay on buddha purnima In Hindi

बुद्ध पूर्णिमा पर क्या होता है?

यह त्योहार अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। भारत में, बौद्ध लोग एक मठ में जाते हैं, जिसमें प्रार्थना सभा, उपदेश, बौद्ध धर्मग्रंथों का पाठ, सामूहिक ध्यान आदि शामिल हैं। वे सफेद कपड़े पहनते हैं और मीठे चावल की खीर खाते हैं।


बुद्ध पूर्णिमा क्यों महत्वपूर्ण है?

बुद्ध पूर्णिमा एक ही दिन भगवान बुद्ध के जन्म, मृत्यु और ज्ञानोदय की याद दिलाती है। बुद्ध शांति और अहिंसा के प्रतीक हैं। उनका जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था और उनकी मृत्यु भारत के खुशीनगर में हुई थी, जिसे परिनिर्वाण के नाम से जाना जाता है।

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